दोस्तों का चेहरा देख आपसी सम्बन्धों का ख्याल करते हुए अपनी बात कहूँ या फिर सच्चाई का साथ दूँ? इस सारी बात की शुरुआत तब हुई जब पहलेपहल पता चला कि परिकल्पना ब्लॉग पर कुछ उत्सव जैसा चल रहा है तो ये देखकर अच्छा लगा कि रवीन्द्र प्रभात नाम का कोई अनजाना शख्स सभी ब्लोगों को इतनी शिद्दत एवं मेहनत के साथ लगनपूर्वक पढ़ रहा है | हैरानी हुई उनके इस जज्बे को देखकर … उससे भी ज्यादा हैरानी हुई कि मेरे ब्लॉग ‘